Friday 1 May 2020

सामाजिक अधिगम सिद्धांत - अल्बर्ट बंडूरा

सामाजिक अधिगम सिद्धांत (Theory of Social Learning)
अल्बर्ट बंडूरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत - इस का प्रतिपादन किया था अल्बर्ट बंडूरा (Albert Bandura) ने किया था।
 प्रतिपादक- अल्बर्ट बंडूरा (संज्ञान वादी)
 निवासी- कनाडा
 जन्म- 4 दिसंबर 1925
 सिद्धांत दिया– 1977 में
 Book– “Social Foundation thought and action”
समाज द्वारा मान्य व्यवहार को अपनाने तथा अमान्य व्यवहार को त्यागने के कारण ही यह सामाजिक अधिगम सिद्धांत कहलाया
 सामाजिक अधिगम का अर्थ-
  दूसरों को देखकर उनके अनुरूप व्यवहार करने के कारण व दूसरों के व्यवहार को अपने जीवन में उतारने तथा समाज द्वारा स्वीकृत व्यवहारों को धारण करने तथा अमान्य व्यवहारों को त्यागने का कारण ही सामाजिक अधिगम है। 

   इसके अनुसार व्यक्ति अवलोकन, नकल और आदर्श व्यवहार के प्रतिमान के माध्यम से एक-दूसरे से सीखते हैं।
  इस सिद्धांत में अनुकरण द्वारा सीखा जाता है। 

  समाज द्वारा स्वीकार किए जाने वाले व्यवहार को अपनाना तथा वर्जित व्यवहार को नकारना ही सामाजिक अधिगम है।
  सामाजिक अधिगम सिद्धांत को व्यवहारवाद और संज्ञानात्मक अधिगम सिद्धांतों के बीच की योजक कड़ी कहा जाता है क्योंकि यह सिद्धांत ध्यान(motivation), स्मृति (attention) और प्रेरणा (memory) तीनों को संयोजित करता है।
इसलिए अल्बर्ट बंडूरा को प्रथम मानव व्यवहार-संज्ञानवादी कहते है।

बंडूरा का प्रयोग (Experiment of Bandura)

बंडूरा ने एक बालक पर बेबीडॉल प्रयोग किया। बंडूरा ने एक बालक को तीन तरह की मूवी दिखाई गई।
प्रथम मूवी में सामाजिक मूल्य (Social value) आधारित थी। जिसे देख कर बालक बेबी डॉल के साथ सामाजिक व्यवहार (social behavior) दर्शाता है।
दूसरी मूवी प्रेम पर आधारित थी। जिसे देख कर बालक डॉल से स्नेह करता है, उसे सहलाता है।
तीसरी मूवी हिंसात्मक (violent) दृश्य-युक्त थी। जिसे देख कर बालक गुड़िया की गर्दन को तोड़ देता है।
बंडूरा द्वारा किए गए प्रयोग-
बॉर्बी डॉल, जीवित जोकर
1.गुड़िया पर
एक निर्जीव गुड़िया पर प्रयोग किया उसे बगीचे में रख दिया एक लेडी आती है उस पर लगातार पैर से  वार करती है उसकी पिटाई करती और अपशब्द बोलती है जिसे बंडूरा ने रिकॉर्ड किया और 50 स्टूडेंट्स को दिखाया।
निष्कर्ष कोई प्राणी दूसरे के व्यवहार को देखकर सीखता है?
2.जोकर पर प्रयोग
बगीचे में सजीव जो कर रख दिया कुछ स्टूडेंट ने जाकर हाथ मिलाया जिसे भांडू राने रिकॉर्ड किया और कक्षा में उसे चलाया तो जब भी जोकर आता है तो बच्चे वैसे ही व्यवहार करते हैं जिस प्रकार से देखा था।

निष्कर्ष (Conclusion)
इस प्रयोग के आधार बंडूरा ने यह निष्कर्ष निकला की छोटे बच्चों को यह नहीं पता होता, की उनको क्या सीखना चाहिए और क्या नहीं सीखना चाहिए। इसलिए बच्चों के सामने हमेशा आदर्श व्यवहार के प्रतिमान (Ideal Model) को प्रस्तुत करना चाहिए। निष्कर्ष-जो भी सीखते हैं दूसरों से अवलोकन से ।
बंडूरा ने सामाजिक अधिगम के चार उपाय बताये हैं-
  1. ध्यान
  2. अवधारण/प्रतिधारण
  3. पुनः प्रस्तुतीकरण
  4. पुनर्बलन
                                                                                  OR
अल्बर्ट बंडूरा (SAMAJIK ADHIGAM KA SIDDHANT ALBERT BANDURA) ने अपने सिद्धांत में 4 पद बताएं
1. अवधान- निरीक्षण करता का ध्यान अपनी और आकर्षित करने के लिए मॉडल आकर्षित, लोकप्रिय, रोचक व सफल होना चाहिए
2.  धारण- व्यक्ति व्यवहारों को अपने मस्तिष्क में प्रतिमाओं के रूप में व शाब्दिक वर्णन के रूप में ग्रहण कर लेता है
3.  पुनः प्रस्तुतीकरण- जिसको हम ध्यान से देखकर धारण करते हैं और धारण करने के बाद उसे पुनः प्रस्तुतीकरण करेंगे
4.  पुनर्बलन- जहां सकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर हम उस कार्य को दोबारा करेंगे और नकारात्मक पुनर्बलन मिलने पर हम उस व्यवहार को दोबारा नहीं करेंगे।
   नोट- दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखना सामाजिक अधिगम कहलाता है
   जिसको देखकर बालक व्यवहार करना सीखता है उसे प्रतिमान कहते हैं ।
 बंडूरा द्वारा बनाए गए सामाजिक अधिगम सिद्धांत में व्यक्ति अपने आपको निम्न क्रियाओं द्वारा संतुलित रखता है।
 1.स्व नियंत्रण अपने स्वयं के व्यवहारों को देखकर निरीक्षण करना।
  a.स्व निरीक्षण
  b.विवेकपूर्ण निर्णय
  c.स्वअनुक्रिया
2.स्वयं निर्देशन अधिगमकर्ता स्वयं निर्देशन द्वारा अपने व्यवहार को निर्देशित करने की प्रभावी युक्ति का प्रयोग कर सकते हैं।
3. स्वयं पुनर्बलन-नकारात्मक व सकारात्मक पुनर्बलन के द्वारा भी व्यक्ति अपने व्यवहारों को निर्देशित कर सकता है।

सामाजिक अधिगम का शैक्षिक महत्व

   शिक्षक छात्रों के सामने आदर्श या भार वाले प्रतिमान प्रस्तुत करें।
   बुरे व्यवहार उपस्थित ना होने दें।
    स्वयं नियंत्रण की विधि अपनाएं।
    अध्यापक विश्वासग् मजबूत करने वाले संदेश देकर व अन्य व्यक्तियों की सफलताओं को दिखाकर तथा स्वयं के अनुभवों द्वारा विद्यार्थियों में स्वयं प्रभावशीलता का विकास कर सकते हैं ।
इसे किन नाम से जानते हैं?
  सामाजिक अधिगम सिद्धांत
  अवलोकन का सिद्धांत
  अप्रत्यक्ष आत्मक का सिद्धांत
  प्रेरणात्मक का सिद्धांत
   निर्देशन का सिद्धांत
  अनुकरण का सिद्धांत



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