Friday 1 May 2020

मैक्डूगल के अनुसार - संवेग

मैक्डूगल के अनुसार-'संवेग उत्पन्न होने पर जो क्रिया होती है उसे मूल प्रवृत्ति कहलाती है'
प्रत्येक मूल प्रवृत्ति के साथ एक संवेग जुड़ा रहता है।
मूल प्रवृत्ति----संवेग

१.पलायन----भय
२.युयुत्सा----क्रोध
३.निवृत्ति----घृणा
४.पुत्रकामना----वात्सल्य
५.शरणागत----करूणा
६.काम प्रवृत्ति----कामुकता
७.जिज्ञासा----आश्चर्य
८.दीनता----आत्महीनता
९.आत्मगौरव----आत्माभिमान
१०.सामूहिकता----अकेलापन
११.भोजनान्वेषण----भूख
१२.संग्रह----अधिकार
१३.रचना----कृति
१४.हास्य----मनोविनोद

*सिगमंड फ्रायड ने व्यक्तित्व की 2 ही मूल प्रवृत्तियाँ बताई है।१.जीवन २.मृत्यु।
*प्रेम,स्नेह व काम प्रवृत्ति को 'लिविडो' कहते है ं।
*लड़को मे ऑडिपस ग्रन्थि पाई जाती है।
*लड़कियो मे इलेक्ट्रा ग्रन्थि पाई जाती है।

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